कार्तिक अमावस्या महत्व और उत्सव
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- कार्तिक अमावस्या स्नान का महत्व और उत्सव :-
कार्तिक अमावस्या, हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में आने वाली अमावस्या तिथि है, जिसे आमतौर पर दीपावली (दिवाली) के त्योहार के रूप में मनाया जाता है, यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
यह स्नान सुबह ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है। अगर पवित्र नदी तक पहुंचना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन पितरों की पूजा करने और तर्पण करने का भी विशेष महत्व है, जिससे पितृ दोष दूर होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्नान-दान के बाद घर की सफाई करें और दीपक जलाकर लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करें।
स्नान का तरीका :-
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पवित्र नदी में स्नान:यदि संभव हो तो कार्तिक अमावस्या पर सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी, जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा आदि नदियों में स्नान कर सकते है।
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घर पर स्नान:अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
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स्नान के दौरान:स्नान करते समय आप गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं, जिससे सौभाग्य में वृद्धि होती है।
कार्तिक अमावस्या स्नान का महत्व :-
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पुण्य और मोक्ष: कार्तिक अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य और मोक्ष मिलता है। -
पितरों को प्रसन्न करना:यह दिन पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शुभ है।
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महत्व और उत्सव : -लक्ष्मी की कृपा:इस दिन देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन-समृद्धि आती है।
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दीपावली :कार्तिक अमावस्या का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।
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लक्ष्मी और गणेश पूजा:इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश की पूजा की जाती है।
- दीपदान: पद्म पुराण के अनुसार इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
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पितृ पूजा :यह पितरों के मोक्ष और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, और पितृ दोष से मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
"सौजन्य से" धर्मगुरु पुलकित शास्त्री , उज्जैन महाकालेश्वर 🕉️🔱 🕉️🔱 🕉️🔱