ऋषि पंचमी 2025
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ऋषि पंचमी 2025
सनातन धर्म में ऋषि पंचमी के व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऋषि पंचमी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। गणेश चतुर्थी से अगले दिन और हरतालिका तीज से दूसरे दिन ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। ऋषि पंचमी का व्रत किसी देवी-देवता को नहीं बल्कि सप्त ऋषियों को समर्पित है। ऋषि पंचमी का व्रत खासतौर पर महिलाओं द्वारा रखा जाता है। कई जगहों में ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व।
ऋषि पंचमी का मंत्र
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्नन्त्वर्ध्यं मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
ऋषि पंचमी पूजा विधि
ऋषि पंचमी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद सप्त ऋषियों के साथ देवी अरुधंती की स्थापना करें।
अगर हो सके तो इस दिन हल्के पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा करने से पहले पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर लें।
गंगाजल छिड़कने के बाद अगरबत्ती या धूप बत्ती करें।
उसके बाद सप्त ऋषियों की तस्वीर के समक्ष जल से भरा हुआ कलश रख दें।
सप्त ऋषियों की पूजा करने के बाद उन्हें पीले रंग के फल- फूल और मिठाई अर्पित करें।
सारी विधि करने के बाद अंत में सप्त ऋषियों से अपनी सभी भूलों के लिए माफी मांग लें।
ऋषि पंचमी की कथा सुनना न भूलें। अंत में आरती खत्म होने के बाद प्रसाद बांट दें।
पूजा हो जाने के बाद, घर के बड़ों के चरण स्पर्श करें।