" कर्ज"/ऋण/ Karza  और कर्ज-मुक्ति के उपाय

" कर्ज"/ऋण/ Karza और कर्ज-मुक्ति के उपाय

"कर्ज" ( शब्द का अर्थ है ऋण या उधार ली गई राशि या किसी के प्रति आर्थिक रूप से बाध्य होने की स्थिति. इसमें मुख्य रूप से पैसे या किसी संपत्ति को उधार लेना और भविष्य में उसे चुकाने का वादा करना शामिल है, जो किसी व्यक्ति, संस्था या देश द्वारा लिया जा सकता हैl 

संक्षेप में, "कर्ज़" एक वित्तीय शब्द है जो उधार ली गई धनराशि को दर्शाता है, जिसे एक निश्चित अवधि के बाद ब्याज सहित वापस करना होता है l

कर्ज-मुक्ति के लिए  उपाय :-

  1. मंगलवार के उपाय 
  • हनुमानजी को बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं: और मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं या हनुमान मंदिर में मीठा प्रसाद बांटें l
  • श्री संकटमोचन हनुमान अष्टक: का नियमित रूप से पाठ करें l
  • ऋणमोचन मंगल स्तोत्र: का पाठ करें, यह कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक होता हैl

      2. शनिवार के उपाय :-

  • नहाने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें, दीपक जलाएं और पेड़ की परिक्रमा लगाते हुए कर्ज मुक्ति की प्रार्थना करें l 
  •  एक मिट्टी के दोमुंहे दीपक में सरसों का तेल डालकर उसे किसी शनिवार को किसी नदी या तालाब के  किनारे मिट्टी में गाड़ दें, लेकिन यह उपाय ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह से ही करें l

      3.  अन्य उपाय :-

  • घर का वास्तु ठीक करवाएं:   घर में बनी सीढ़ियों में वास्तु दोष होने पर व्यक्ति कर्ज के जाल में फंस सकता है, इसलिए सीढ़ियों के वास्तु दोष को ठीक करवाएं l
  • गुरुवार को पीले वस्त्र पहनें और पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर नहाएं. दालचीनी को विष्णु और लक्ष्मी के चरणों में अर्पित कर अपनी तिजोरी या पर्स में रखें l                               

       4. पूजा-पाठ और मंत्र जप :- 

         ऋण मोचन मंगल स्तोत्र:
         इस स्तोत्र का पाठ करना कर्ज से मुक्ति के लिए फलदायी माना जाता है। मंत्र इस प्रकार हैं
         
ऋणमोचक मंगल स्तोत्रम् 
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ll
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः । धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दन ll
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः । व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥ 
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत् । ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् । कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः । न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥ 
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल । त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥
भगवान गणेश की पूजा:
न्हें ऋणहर्ता भी कहा जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने की सलाह दी जाती है। 

प्रदोष व्रत: 
हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी पर प्रदोष का व्रत करने से गरीबी का नाश होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। 


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